योग्यता कहाँ है साहब!
शिक्षा मित्रो को पहले हाई कोर्ट औऱ फिर सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराकर शिक्षक के पद से हटा दिया। सरकार ने कहा कि अब योग्य लोग शिक्षक रखे जाएंगे। योग्यता अब परीक्षा से नापी जाएगी कि कौन कितना योग्य है। फिर एक दिन अखबार में खबर आती है कि इंटर कॉलेज और हाइस्कूल में शिक्षकों की बहुत कमी है और इस कमी को पूरा करने के लिए प्राइमरी स्कूल के मास्टर साहब और रिटायर्ड शिक्षकों को रखा जाएगा। जब प्राइमरी स्कूल का शिक्षक इंटरमीडिएट और हाइस्कूल वालो को पढ़ा सकता है तो फिर योग्यता की बात ही कहाँ रह गयी लेकिन फिर वही बात हो जाएगी कि योग्यता कहाँ है साहिब!!
क्या है ख़बर
क्यों कर रही है सरकार ऐसा
सरकार के पास विकल्पों की कमी नही होती है। फिर भी अगर सरकार की तरफ से ऐसा कदम उठाया गया है तो उसके पीछे की वजह देखने की जरूरत है । प्राइमरी स्कूल के टीचर इस समय वो लोग है जो कि वास्तव में इंटर मीडिएट में पढ़ाने की योग्यता रखते है। बीएड धारक को कायदे में प्राइमरी शिक्षा में नही होना चाहिए क्योंकि बीएड धारक शिक्षक हमेशा मन मे इस बात को महसूस करेंगे कि ये पोस्ट मेरे लायक नही है जबकि btc वाला तो सदैव ये जनता होगा कि मेरी पढ़ाई की डिग्री ही प्राइमरी में पढ़ाने के लिए है।
बीएड धारक इंटरमीडिएट में पढ़ा लेंगे इसमे कोई शक नही है तो फिर नए शिक्षकों को नियुक्ति देकर क्यों नही पढ़वाया जाता । इससे ये रोज रोज नियुक्ति और प्रतिनियुक्ति की झंझट भी खत्म हो जाएगी। लेकिन सरकार इस समय पैसे बचाने पर उतर आई है इसलिए इनका उद्देश्य येन केन प्रकारेण मामला सुलझाना है नियुक्ति की स्थायी विकल्प नही देना है बस!
कई बेरोजगार युवा है नौकरी की तलाश में
कई लाख बीएड धारक इस समय बेरोजगार है और रोजगार की तलाश में है लेकिन इनकी समस्याएं जस की तस है।
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