मकर संक्रांति का इतिहास और संक्राति का आपकी राशि पर प्रभाव




हिंदुओं में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति परंपरागत रूप से 14 जनवरी को मनाई जाती आ रही है लेकिन 2012 से मकर संक्रांति की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बनती चली आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 14 को मनाई जाएगी या 15 जनवरी को इस बात को लेकर सवाल सामने आने लगे हैं।
किया जाता है दान
सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति कहलाता है। इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। शास्त्रों में यह समय देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। मकर संक्राति सूर्य के उत्तरायण होने से गरम मौसम की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर लौटता है। इसलिए भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद पूजन करके घी, तिल, कंबल और खिचड़ी का दान किया जाता है।
मकर संक्रांति का इतिहास
श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।
यमराज ने की थी तपस्या
पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे।
मकर में हुआ सूर्य का प्रवेश
कुंभ राशि में सब कुछ जला हुआ था। उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्राति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ।
काले तिल से की पूजा
शनि देव की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति मकर संक्राति के दिन काले तिल से सूर्य की पूजा करेगा उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। इस दिन तिल से सूर्य पूजा करने पर आरोग्य सुख में वृद्धि होती है। शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं तथा आर्थिक उन्नति होती है। तिल का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करना चाहिए।
भीष्म पितामाह ने चुना था आज का दिन
मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान 100 गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

14 जनवरी से सूर्य आएंगे पुत्र शनि के घर, जानिए क्या होगा आप पर असर


ज्योतिष शास्त्र की गोचर गणनानुसार 14 जनवरी 2019, सोमवार से सूर्य सायं 7 बजकर 45 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर राशि में सूर्य शत्रुक्षेत्री होंगे, क्योंकि ज्योतिषीय ग्रहमैत्री के अनुसार सूर्य व शनि नैसर्गिक रूप से शत्रु माने जाते हैं। सूर्य का शत्रु राशि मकर में प्रवेश समस्त 12 राशियों को भी प्रभावित करेगा।
आइए जानते हैं सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. मेष- मेष राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार व्यापार में लाभ प्राप्त होगा। कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। धनलाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शासन से सहयोग प्राप्त होगा। राजनीति से जुड़े व्यक्तियों को लाभ होगा।
2. वृषभ- वृषभ राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार धनहानि की आशंका है। झूठे आरोप के कारण प्रतिष्ठा धूमिल होगी। कार्यों में असफलता प्राप्त होगी। रोग के कारण कष्ट होगा। पारिवारिक विवाद के कारण अशांति का वातावरण रहेगा।
3. मिथुन- मिथुन राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार विवाद के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट-कचहरी व मुकदमे में असफलता के योग हैं। धन का अपव्यय होगा। उच्च रक्तचाप के कारण कष्ट होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी।
4. कर्क- कर्क राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार दांपत्य सुख में हानि होगी। कार्यों में असफलता प्राप्त होगी। धनहानि एवं मानहानि होगी। सिर में पीड़ा के साथ-साथ शारीरिक कष्ट की आशंकाएं हैं।
5. सिंह- सिंह राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। रोगों से मुक्ति मिलेगी। राज्य से लाभ प्राप्त होगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
6. कन्या- कन्या राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार मानसिक पीड़ा होगी। राज्याधिकारियों से विवाद होगा। संतान को कष्ट की आशंका है। धनहानि होगी। यात्रा में दुर्घटना की संभावना है।
7. तुला- तुला राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार पारिवारिक विवाद के कारण कष्ट होगा। धनहानि व मानहानि होगी। यात्रा में कष्ट होगा। जमीन-जायदाद संबंधी मामलों में असफलता प्राप्त होगी। मानसिक अशांति के कारण कष्ट रहेगा।
8. वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार मित्रों से लाभ होगा। धनलाभ होगा। राज्याधिकारियों से अनुकूलता प्राप्त होगी। पदोन्नति की संभावना है। उच्च पद की प्राप्ति होगी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
9. धनु- धनु राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार व्यापार व धन-संपत्ति में हानि का योग है। मित्रों व परिवारजनों से विवाद की आशंका है। सिर व आंखों में पीड़ा के कारण परेशानी रहेगी।
10. मकर- मकर राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार धनहानि के योग हैं। सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी होगी। राज्याधिकारियों से विवाद होगा। आंखों में पीड़ा के कारण कष्ट होगा।
11. कुंभ- कुंभ राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार स्थान परिवर्तन का योग बन रहा है। कार्यक्षेत्र में परेशानियां रहेंगी। गुप्त शत्रुओं के कारण हानि का योग है।
12. मीन- मीन राशि वाले जातकों को सूर्य के गोचर अनुसार धन प्राप्ति का योग है। पदोन्नति के अवसर हैं। मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शासकीय कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। पदोन्नति के योग बनेंगे।
सूर्य के अशुभ प्रभाव की शांति हेतु उपयोगी उपाय-
-250 ग्राम गुड़ रविवार को बहते जल में प्रवाहित करें।
-प्रतिदिन कुमकुम मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
-प्रति रविवार 8 बादाम मंदिर में चढ़ाएं।
-प्रति रविवार सूर्यास्त से पूर्व बिना नमक वाला भोजन करें।
-सवत्सा लाल गाय का दान करें।
-लाल वस्त्र न पहनें।

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