आधे गिलास पानी में ही अटके रहेंगे या आगे भी बढ़ेंगे

आधे गिलास पानी में ही अटके रहेंगे या आगे भी बढ़ेंगे

आधा गिलास पानी दिखाकर अकसर यह सवाल पूछा जाता है कि गिलास आधा भरा है या आधा खाली? यदि आपने कहा गिलास आधा भरा है तो आपका इंप्रेशन आशावादी और सकारात्‍मक पड़ेगा और यदि आपका जवाब गिलास आधा खाली है तो सब गुड़गोबर नकारात्‍मक और निराशावादी समझ कर आपकी उम्‍मीदवारी कैंसिल क्‍लास में यही सवाल एक बच्‍चे से पूछा गया तो उसने आधे गिलास पानी का एक नया ही दर्शन समझा दिया आशानिराशा और सकारात्‍मकनकारात्‍मक से अलहदा उसने ठहरे हुए आधे गिलास पानी में मोमेंटम बिल्‍ड कर दिया
गिलास आधा भरा है या आधा खाली?
क्‍लास में टीचर ने एक बच्‍चे ने पानी मंगाया. आधा पीने के बाद टेबल पर रखा और बच्‍चों से पूछा गिलास आधा भरा है या आधा खाली? कुछ बच्‍चों ने कहा, 'आधा खाली' तो कुछ ने कहा, 'आधा भरा'. टीचर ने देखा एक बच्‍चा खिड़की से बाहर देख रहा था. उसकी ओर चाक का एक टुकड़ा फेंकते हुए टीचर ने पूछा, 'तुम्‍हारा ध्‍यान कहां है? मैं यहां मैनेजमेंट पढ़ा रहा हूं और तुम बाहर क्‍या देख रहे हो?' बच्‍चे ने खिड़की की ओर ही देखते हुए कहा, 'क्‍या सर! आप भी वही बोरिंग आधे गिलास पानी में अटके हुए हैं. ये देखिए लाईव मैनेजमेंट.'

बिल्‍ली और चिडि़यों का लाईव मैनेजमेंट
सारे बच्‍चे भागकर उस खिड़की के पास पहुंच गए. बाहर देखा कि एक चिडि़या और एक चिरौटा नन्‍हें से बच्‍चे को अपनी चोंच में दबा कर पेड़ के घोंसले में ले जाने की कोशिश में लगे थे. बाकी ढेर सारे पक्षी चिल्‍ला-चिल्‍ला कर एक बिल्‍ली को दूर भगाए हुए थे. तीन-चार प्रयासों के बाद बिना पंखों वाला लाल नन्‍हा बच्‍चा अपने घोंसले में पहुंच गया. सारा माहौल शांत हो गया. टीचर ने बच्‍चों को अपनी-अपनी सीट पर जाने को कहा और उस बच्‍चे को आधे भरे गिलास वाली बात एक्‍सप्‍लेन करने के लिए ईशारा किया.

आधा खाली गिलास कैसे भरा जाए?
बच्‍चे ने कहा, 'सर! गिलास आधा भरा है या आधा खाली. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. गिलास तो पूरा भरा ही था आपने पीकर आधा खाली किया था और इससे पहले भी जाएं तो पूरा खाली था. अब मैं यह कह दूं कि आधा भरा है तो आप मुझे आशावादी समझ लेंगे. आधा खाली बोला तो आप मुझे निराशावादी समझेंगे. दरअसल सवाल आधा भरे होने या खाली होने का नहीं बल्कि उससे आगे का है कि गिलास तो खाली होते रहेंगे भरेंगे कैसे?' टेबल पर रखे गिलास को उठाते हुए बच्‍चे ने कहा, 'मैं ये सोच रहा हूं कि यह आधा खाली गिलास कैसे भरा जाए?' इतना कहने के बाद उसने जग से उस गिलास को भर दिया.

ऐसा पढ़ाएं कि काम मिले डिग्री नहीं
आज बच्‍चा रुकने के मूड में नहीं था. उसने कहा, 'आप हमें किताबों से बोरिंग ढंग से समझाते रहते हैं. ध्‍यान देने के लिए बार-बार डांटते रहते हैं. अब उस बिल्‍ली और चिडि़यों को ही ले लीजिए, चिडि़यों ने घोंसले में बच्‍चे को पहुंचाने के लिए गजब का मैनेजमेंट किया. आपने देखा ही. सब बच्‍चों ने चुपचाप ध्‍यान लगाकर बिल्‍ली और चिडि़यों का खेल देखा. उनका मैनेजमेंट भी समझ लिया. बिल्‍ली और चिडि़यों की सक्रियता देखी. यानी अब सक्रिय मैनेजमेंट की जरूरत है ता‍की काम मिले ना कि डिग्री. हमें बोरिंग क्‍लास से बाहर निकाल कर सक्रिय काम की जगह ले जाकर समझाइए.'

उम्मीद न छोड़े, और अंतिम पल तक डटें रहें। Don't lose hope. You never know what tomorrow will bring.

                 उम्मीद न छोड़े, और अंतिम पल तक डटें रहें।

जिन्दगी अपनी शुरुआत के साथ अनिश्चितता लिए होती है हम कभी भी कुछ निश्चित नहीं कह सकते हमारे साथ क्या घटना पेश आ सकती है और असल में जीने का यही तो मजा है क्योंकि नहीं तो नयापन क्या रह जायेगा जिन्दगी में |
यही वजह है कि जब भी हम मुश्किल में होते है हमे लगता है अब तो शायद कुछ नहीं बदलेगा और जिन्दगी में उलझनों और समस्याओं की जगह हम अपनी सोच में अधिक उलझने पैदा कर लेती है जबकि जिन्दगी की परेशानियों से तो फिर भी पार पायी जा सकती है लेकिन हम अपने दिमाग में जो धारणाएं बनते है उनकी नकारात्मक Energy हमारी जीवन को प्रभावित करती है और वो भी बड़े बुरे स्तर पर |

ओशो ने एक बड़ी अच्छी बात कही है ” प्रकृति बाधा नहीं है क्योंकि प्रकृति तो एक संगीत है एक हारमनी जो निरंतर चलायमान होने का प्रतीक है जबकि मुश्किलें कई बार केवल इसलिए आती है कि वो हमारे अंदर सुप्त हमारी काबिलियत को जगा सके एक नयी दिशा दे सके ”

इसी तरह जीवन मुश्किलों और खुशियों से भरा एक सामजस्य पूर्ण प्लेटफार्म है जिसे आपको इसकी परिपूर्णता में बड़े अच्छे ढंग से जीना होता है वही जिन्दगी की परिभाषा है  | सोचिये अगर मुश्किलें ही नहीं होंगी तो नयापन क्या रहेगा  | हम ऐसा क्या कर सकते है उस दशा में कोई क्रांति भरा जो हमे सफलता का मज़ा दे  | नहीं न  | तो जरुरी है कि आप उस दौर से गुजरे जिसमे आपको लगे कि ऐसा क्या है मुझ में जो मैं बेहतर कर सकता हूँ अपने लिए और उसके बाद आप पाएंगे कि सफलता के उस मुकाम से आप कभी दूर नहीं थे बस एक direction आपको चाहिए थी जो आपको आपकी निराशा भरी जिन्दगी से वापिस लौटने का सबसे करीबी दरवाजा थी  |
आप कभी अपनी जरूरतों के दूसरे लेवल तक नहीं जाते जिनकी आपको अपने जीवन में वाकई जरुरत है और जिनसे आपकी खुशिया है आप लोगो के नजरिये से खुद को देखते है और असल में यही है जो परेशानी का कारण बनती है हो सकता है आप लोगो की नजर में सफल नहीं हो लेकिन जरा सोचिये क्या इस से वाकई कोई फर्क पड़ता है  | जवाब है नहीं लेकिन अगर आप सोचते है कि इस से पड़ता है तो मैं आपको एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि ऐसे में आप खुद की क्षमताओं को भी कम आंकते है  |

किसी भी परेशानी की स्थिति में जडवत बने रहने से अच्छा है आप जिस परेशानी में अभी है उसके बारे में सकारात्मक तरीके से विचार किया जाये नहीं तो आप एक काम कर सकते है एक पेन और पेपर लेकर बैठे और उन बातों पर विचार करें जो आपके पक्ष में मौजूद है और आप पाएंगे कि ऐसे कई छोटे छोटे रस्ते उपलब्ध है जो आपके लिए आपकी मंजिल के बड़े रस्ते तक जाते है बस जरुरत है एक फैसला भर लेने कि आप उन पर अमल करने के लिए कितने तेयार है क्योंकि कुछ भी नहीं करने से अच्छा है कुछ भी करें फिर चाहे जरुरी नहीं वो आपको एकदम से सफलता की और आपका कदम साबित हो ऐसे में आप अपनी गलतियों को सुधारने के लिए हर कदम पर तेयार हो सकते है क्योंकि आपकी छोटी छोटी गलतियाँ ही वो है जो आपको आपकी सफलता के रास्ते में आने वाली रुकावटों में बड़ी गलतियों की संभावनाओं को कम करती है इसलिए आपको अपने दिल और दिमाग से सकारात्मक सोच लिए धीरे धीरे आगे बढे तो आप पाएंगे जल्दी ही जिन्दगी के निराश पहलू से आप काफी आगे निकल चुके है  |

कुंडली कैसे देखें? भाग 3

कुंडली कैसे देखें? भाग 3

दोस्तों!
पिछले पोस्ट में हमने देखा कि प्रत्येक भाव का क्या काम है अब हम देखेंगे कि प्रत्येक राशि का स्वामी कौन ग्रह होता है।

१२ राशियों के नाम एवम उनके स्वामी की जानकारी निम्न है ---
मेष का स्वामी = मंगल ,
वृष का स्वामी = शुक्र ,
मिथुन का स्वामी = बुध ,
कर्क का स्वामी = चन्द्रमा ,
 सिंह का स्वामी = सूर्य ,
कन्या का स्वामी -= बुध ,
 तुला राशी का स्वामी = शुक्र,
वृश्चिक का स्वामी = मंगल ,
धनु का स्वामी = गुरु ,
मकर का स्वामी = शनि ,
कुम्भ का स्वामी = शनि ,
मीन का स्वामी = गुरु |

अब हम पुनः आते है उस कुंडली में जिसमे कि ( https://shivaastrology.blogspot.in/2017/07/blog-post_9.html) लग्न भाव में संख्या 8 अर्थात वृश्चिक राशि लिखी होती है। इससे हम अब बता सकते है कि उस व्यक्ति की लग्न वृश्चिक और स्वामी मंगल है। दोस्तों अगर हमने किसी व्यक्ति की लग्न और स्वामी को पहचान लिया तो समझिये हमने 10% ज्योतिष सीख ली।
आगे की पोस्ट में हम बात करेंगे प्रत्येक राशि के सामान्य लक्षण और प्रत्येक ग्रह का सामान्य स्वभाव के बारे में।
क्रमशः........  

कुंडली कैसे देखें ? भाग 2


कुंडली के बारह भाव और उनसे क्या जानें- 

दोस्तों मैंने पिछले पोस्ट में कुंडली के भाव कैसे देखें ये बताया था अब ये जानेंगे की प्रत्येक भाव क्या बताता है और हमें किस विषय के बारे में जानना हो तो उस विषय को उस भाव से देखें। उदाहरण के लिए अगर हमे जानना हो कि किसी व्यक्ति के विवाह के बारे में विचार करना हो तो उसकी कुंडली का सप्तम भाव देखेंगे। इसी प्रकार करिअर के लिए दसवां भाव देखेंगे।

प्रथम भाव – First House 

तनु भाव  प्रथम भाव से व्यक्ति की शारीरिक संरचना का विचार किया जाता है. पूरे शरीर की बनावट इस भाव से देखी जाती है. शरीर का रंग, रुप, बाल,  सहनशक्ति, ज्ञान, स्वभाव जीवन के सुख-दुख,  स्वास्थ्य, शरीर का बलाबल, मानसिक प्रवृ्त्ति को बताता है.

द्वितीय भाव – Second House

धन भाव  इस भाव से व्यक्ति की वाणी, कुटुम्ब,धन आदि का विचार किया जाता है. इस भाव से दांई आँख का भी विचार किया जाता है. विद्या,चेहरा,खान-पान की आदतें आदि भी इसी भाव से देखी जाती हैं. सच और झूठ, जीभ, मृ्दु वचन, मित्रता, शक्ति, आय की विधि आदि बातों का विचार भी इस भाव से किया जाता है. यह भाव मारक भाव भी है. इस भाव से मृ्त्यु के बारे में भी पता चलता है. कुण्डली का प्रथम मारक स्थान है.


तृ्तीय भाव – Third House

सहज भाव  इस भाव से छोटे भाई-बहन, धैर्य,पराक्रम,व्यक्ति का पुरुषार्थ, छोटी यात्राएँ,दाहिना कान और दाहिना हाथ, शक्ति,वीरता,बन्धु,मित्रता,नौकर, दास-दासी. यह मजबूत इच्छा शक्ति का भी भाव है.  महर्षि पराशर के अनुसार तृ्तीय भाव उपदेश या धार्मिक उपदेश का भी होता है. दूसरों को ताप पहुंचाना भी इस भाव का कारकत्व है.

चतुर्थ भाव – Fourth House

सुख भाव  यह भाव भवनों का प्रतीक है. घर, घर से निकालना, वाहन,माता,घर का सुख,झूठा आरोप, मकान, खेतीबाड़ी, वाहन, आदि इस भाव से देखा जाता है. भौतिक सुखों की प्राप्ति, अनुभूति, माता से वात्सल्य का सुख, माता के पूरे भविष्य का पता इस भाव से चलता है. ऎशों – आराम के सभी साधन, पद मिलेगा या नहीं इस भाव से देखते हैं. जीवन के प्रति नकारात्मक और सकारात्मक दृ्ष्टिकोण यहीं से पता चलता है. सामान्य शिक्षा, मन के भाव, मस्तिष्क, भावुकता आदि इस भाव से देखा जाता है. इस भाव से छाती और फेफड़ों को देखते हैं.

पंचम भाव – Fifth House

पुत्र भाव [संतान भाव]  यह संतान प्राप्ति का भाव है. शिक्षा का भाव है. शिक्षा का स्तर कैसा होगा, इस भाव से पता चलेगा. विवेक का भाव, पूर्व जन्म के संचित कर्म, पंचम भाव से प्रेम संबंध, लेखन कार्य भी पंचम भाव से देखते हैं. पंचम भाव से राज शासन, मंत्रीत्व, शास्त्रों का ज्ञान, लॉटरी, पेट, स्मृ्ति आदि का विचार किया जाता है. इस भाव से ह्रदय, पेट का ऊपरी भाग का विचार करते हैं.

षष्ठ भाव – Sixth House

अरि भाव [शत्रु भाव] इस भाव से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष  हर प्रकार के शत्रुओं का विचार किया जाता है. शारीरिक और मानसिक शत्रु [काम, क्रोध, मद, लोभ] अहंकार, सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा [competition in service] रोग की प्रारम्भिक अवस्था, ऋण, जैसे जीवन यापन और व्यापार आदि के लिये ऋण आदि लेना इसी भाव से. छठा भाव सर्विस भाव भी है. चिकित्सकों की कुण्डली में यह भाव बली होता है. वकीलों का व्यवसाय भी यहीं से देखा जाता है.   सौतेली मां, झगडा़ – मुकदमा, पानी से भय, जानवर से भय, मामा – मौसी को भी इस भाव से विचारते हैं. इस भाव से गुर्दे, पेट की आँतें तथा हर तरह के व्यसनों का विचार किया जाता है.

सप्तम भाव – Seventh House

दारा या कलत्र भाव इस भाव से जीवन साथी का विचार करते हैं. उसका रुप-रंग, शिक्षा, व्यवहार सभी का विचार इस भाव से किया जाता है. दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा या उसमें कलह होगा, सभी का विचार इस भाव से होता है. यह साझेदारी का भाव है. आधुनिक समय में इस भाव से व्यापार तथा व्यापार में साझेदारी की गुणवत्ता का विचार करते हैं. इस भाव से जीवन के हर क्षेत्र की साझेदारी को देखा जाता है. प्रजातंत्र में यह जनता का भाव भी है. नेताओं की कुण्डली में यदि यह भाव बली है तो वह नेता जनता में लोकप्रिय होगा.   इस भाव से मध्यम स्तर की यात्राएं देखते हैं इस भाव से travels for fun and travels for business भी देखते हैं. यह कुण्डली का दूसरा मारक स्थान है.

अष्टम भाव – Eighth House

इस भाव से पैतृ्क सम्पति, विरासत, अचानक आर्थिक लाभ, वसीयत आदि अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष है. लम्बी बीमारी, मृ्त्यु का कारण, यौन संबंध, दाम्पत्य जीवन, अष्टम भाव का नकारात्मक पक्ष है. इस भाव से जननेन्द्रियों का विचार करते हैं.

नवम भाव – Ninth House

भाग्य भाव नवम भाव से आचार्य, गुरुजन, पिता और अपने से बडे़ सम्मानित लोगों का विचार किया जाता है. यह भाव भाग्य भाव भी कहलाता है. इस भाव से लम्बी समुद्र यात्रा, तीर्थ यात्राएं, भाई की स्त्री, जीजा, अपने बच्चों की संतान का विचार भी इस भाव से होता है.   आध्यात्मिक प्रवृ्तियाँ, भक्ति या धर्म अनुराग, सीखना या ज्ञान प्राप्त करना, धार्मिक और न्याय से संबंधित व्यक्तियों के बारे में इस भाव से विचार करते हैं. एक अच्छा नवम भाव कुण्डली को बहुत बली बनाता है. नवम भाव से जाँघें देखते हैं.

दशम भाव – Tenth House

कर्म स्थान यह कर्म का क्षेत्र है. रोजगार के लिये जो कर्म करते है वो दशम भाव से देखे जाते हैं. किस आयु में कर्म की प्राप्ति होगी, कर्म का क्षेत्र क्या होगा, किस तरह से समय का सदुपयोग या दुरुपयोग करते हैं. रोजगार कैसा और कब शुरु होगा, रोजगार में टिकाव रहेगा या नहीं, रोजगार में कितना मान मिलेगा , स्वयं का मान-सम्मान आदि बातों का विचार इस भाव से किया जाता है.   प्रसिद्धि, सम्मान, आदर, प्रतिष्ठा तथा व्यक्ति की उपलब्धियाँ दशम भाव से देखी जाती है. दशम भाव से घुटनों का विचार किया जाता है.

एकादश भाव – Eleventh House

आय या लाभ भाव इस भाव से आय, लाभ, पद प्राप्ति, प्रशंसा, बडे़ भाई – बहन, पुत्र वधु, बांया कान और बांहें देखते हैं. व्यापार से लाभ – हानि और सभी प्रकार के लाभ इस भाव से देखे जाते हैं. जो कर्म जातक ने किये हैं उनका श्रेय इस भाव से मिलता है. इस भाव से पिण्डलियाँ और टखने का विचार करते हैं.

द्वादश भाव – Twelfth House

व्यय भाव  जिंदगी का अंतिम पडा़व, हर तरह के व्यय, हानि, बरबादी, जेल, अस्पताल, षडयंत्र आदि इस भाव से देखे जाते हैं. खुफिया पुलिस, दरिद्रता, पाप, नुकसान, शत्रुता, कैद, शयन सुख, बायां नेत्र, गुप्त शत्रु, निंदक आदि का विचार इस भाव से किया जाता है.  आधुनिक सन्दर्भ में विदेश यात्रा, विदेश में व्यवसाय, विदेशों में रहना आदि का विचार इस भाव से किया जाता है. इस भाव से पैर और पैर की अंगुलियों का विचार करते हैं. जो लोग आध्यात्म से जुडे़ हैं उनकी कुण्डली में द्वादश भाव का बहुत महत्व होता है. आध्यात्मिक जीवन के संकेत और मोक्ष के विषय में द्वादश भाव से विचार करते हैं

कुंडली कैसे देखें? भाग 1


कैसे देखे कुंडली?


दोस्तों!
हम अपनी कुंडली तो बनवा लेते है लेकिन उसके बारे में जानते नहीं है कम से कम आपको इतना तो मालूम ही होना चाहिए कि ये जो कुंडली है वो क्या है । ये जो चित्र देख रहे है आप ये एक व्यक्ति की कुंडली है जिनकी जन्म तिथि है 01 अगस्त 1985, जन्म समय है दोपहर के 2 बजे और जन्म स्थान है दिल्ली।

आईये कुंडली के बारे में जानते है-
इसमें 12 खाने है और हर खाने में 1 संख्या लिखी हुई है। ये संख्या है वो दरअसल राशी की संख्या है जो की इस प्रकार है-
1 मेष
2 वृष
3 मिथुन
4 कर्क
5 सिंह
6 कन्या
7 तुला
8 वृश्चिक
9 धनु
10 मकर
11 कुम्भ
12 मीन


तो इस कुंडली में आप देखेंगे की सबसे ऊपर वाले खाने के स्थान पर संख्या 8 लिखी हुई है, देखिये जहाँ पर ल. लिखा है, ल. मतलब की लग्न,  इसका मतलब की लग्न वाले स्थान पर 8 लिखा है और 8 नम्बर हम बता चुके है कि वृश्चिक राशी है। तो समझे आप व्यक्ति का लग्न हुआ वृश्चिक। इस लग्न से हम बाएं ओर को गिनना शुरू करे तो अगला खाना जिसमे कि 9 लिखा हुआ ये कुंडली का दूसरा भाव है इसी प्रकार जिसमे 10 लिखा है वो तीसरा भाव हुआ और जिसमे 11 लिखा है वो चौथा भाव हुआ और जिसमे 12 लिखा है वो पांचवा भाव हुआ और जिसमे 1 लिखा है वो छठा भाव हुआ। जिसमे 2 लिखा है वो खाना सातवाँ भाव हुआ और जिसमे 3 लिखा है वो खाना 8 भाव हुआ। जिसमे 4 लिखा है वो खाना नवां भाव हुआ और जिसमे 5 लिखा है वो दसवां भाव हुआ और जिसमे 6 लिखा है वो ग्यारहवां भाव हुआ और जिसमे 7 लिखा है वो बारहवां भाव हुआ।

एक बात और कुंडली में भाव तो निश्चित रहते है। इन भाव की गिनती इसी प्रकार होगी।
आगे की पोस्ट हम प्रत्येक खाने  (भाव) के  बारे में बताएँगे।
क्रमशः.........

हिन्दुओं के लिए क्यों पवित्र है सावन का महिना?

हिन्दुओं के लिए क्यों पवित्र है सावन का महिना?



सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा ‘बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय’ की गूंज सुनाई देगी। शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ नजर आएंगी। धार्मिक पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है।

एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। साथ ही शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय होने के कारण यह सभी चीजों खास तौर पर अर्पित की जाती है।

इसके साथ ही श्रावण मास शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं मंत्र जाप करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश होता है। वैसे इस बार श्रावण 7 अगस्त 2017  तक चलेगा। श्रावण का यह महीना भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। माना जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास अपना विशेष महत्व रखता है।

सावन सोमवारी की व्रत कथा 
कथानुसार एक बार सनत कुमारो ने भगवान महादेव से पूछा, हे देवों के देव महादेव। कृपा कर ये बतायें कि क्यों आपको सावन माह अति प्रिय है। कुमारो के अनुरोध को स्वीकारते हुए भगवान महादेव ने कहा, देवी सती अपनी योगशक्ति के जरिये अपने पिता दक्ष के घर में शरीर त्याग दी थी।  किन्तु देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने की प्रतिज्ञा की थी। इसी वचनानुसार देवी सती का दूसरा जन्म हिमाचल के घर में रानी मैना के गर्भ से हुई थी। उनके माता-पिता ने कन्या का नाम पार्वती रखा। पार्वती ने सावन के महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत कर महदेव को प्रसन्न किया।
ततश्चात पार्वती का विवाह महादेव से हुआ। अतः महादेव एवम माता पार्वती को सावन माह अति प्रिय है। यह परम्परा आदि काल से वर्तमान काल तक जारी है। सावन माह में कुंवारी कन्यायें सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए सावन सोमवारी की व्रत रखती है।

सोमवार की पूजा विधि
       इस दिन प्रातः काल उठे, स्नान आदि से निवृत होकर भगवान शिवजी, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवम नंदी जी की पूजा करें। पूजा की दिशा पूर्व अथवा उत्तर हो। भगवान शिव जी को पंचामृत से जलधारा स्नान करायें।ततश्चात भगवान शिव जी की ऊजा गंध, फल, फूल, चन्दन, बेलपत्र, भांग-धतूरा, दूर्वा आदि से करें तथा शिव चालीसा का पाठ एवम ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करें। अंत में भगवान शिव जी की आरती करें । शिवजी एवम माता पार्वती से घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें। 

Why should believe on Astrology ज्योतिष पर विश्वास क्यों करें


नमस्कार मित्रों!
आज के दौर में जब इंसान अपने जीवन में तमाम परेशानियों का शिकार है और जीवन में सुख और शांति पाना चाहता है। दोस्तों! हमने तरक्की तो बहुत कर ली परन्तु आज भी हर चीज हमारे नियंत्रण में नही है।हम मेहनत तो बहुत करते है परन्तु सबको एक जैसा फल नहीं मिलता, कोई बीमार है, कोई आर्थिक तंगी का शिकार है, किसी की शादी नही हो रही और किसी को नौकरी नही मिल रही तो कोई व्यापर में घाटा उठा रहा है, कोई पाप करता है और फिर भी मजे से जिन्दगी काटता है और कोई बहुत शुभ कर्म करता है तब भी कष्ट उठा रहा है,  वैसे तो आजकल भाग्य और ज्योतिष को निरर्थक और अनपढ़ लोगो की विद्या समझ कर नकार दिया जाता है लेकिन जब हम अभी कही गयी बातो  का लगातार शिकार होते है तब हमे लगता है कि इस संसार में भाग्य नाम की एक चीज भी है।

इसी भाग्य पर बात करता है हमारा ज्योतिष। मित्रों ! तुलसीदास जी ने कहा है 
" कर्म प्रधान विश्व रची राखा।"
मतलब कि ये संसार कर्म आधारित है । अर्थात अच्छे कर्म करोगे तो अच्छा फल और बुरे कर्म का फल बुरा होता है। हमारा भाग्य भी हमारे कर्मों से मिलकर बना है। पिछले जन्म के संस्कार हमारे इस जन्म के भाग्य बनाते है।  तो आप समझे कि भाग्य क्या है।
दोस्तों! हमारे प्राचीन ऋषियों ने ज्योतिष का विकास इसलिए किया ताकि हम अपने भविष्य के बारे में जान सके और अपने समय का सदुपयोग कर अपने कर्मो को समय रहते सुधार कर सकें।
कई लोगों के मन में अवधारणा है कि ये तारे और नक्षत्र हमारे भाग्य का निर्धारण कैसे कर सकते है? मैं उन लोगों से सहमत हूँ कि हाँ तारे और नक्षत्र हमारे भाग्य का निर्धारण नहीं कर सकते है, क्यूंकि ये निर्धारक नहीं संकेतक हैं। आप सोचिये कि अगर आसमान में बदल दिख रहें है तो मैं कहूँगा कि बारिश होने वाली है, अगर गर्मी के मौसम में गरमी बहुत बढ़ जाती है तो हम लोग कह देते है कि आज आंधी आएगी। जब कहीं भूकंप आता है तो वहां के पशु पक्षियों में बहुत ही बेचैनी देखी जाती है। लेकिन जब हम ये सब बातें बोल रहे होते है तो हम अन्धविश्वासी नहीं होते हैं लेकिन अगर कोई व्यक्ति ज्योतिष के आधार पर कुछ कहता है तो फिर ये अन्धविश्वास कैसे? ये भी एक विज्ञान है जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने संसार के कल्याण के लिए संसार को दिया।
ज्योतिष में हम लोग नक्षत्र और तारों की गति के आधार पर भविष्यवाणी करते हैं। हमे जो तारा मंडल प्रथिवी से लगातार दिखाई देते हैं हमने उनको अपना आधार मान लिया। इन तारा मंडलों को बारह राशियों में विभाजित कर लिया जो कि है - 
1. मेष Aries
2. वृष Tauras
3. मिथुन gemini
4. कर्क cancer
5 .सिंह leo
6. कन्या virgo
7. तुला libra
8. वृश्चिक scorpio
9. धनु sagittarius
10. मकर capricorn
11. कुम्भ Aquarius
12. मीन pieces
इसके बाद हमने ग्रह देखे जो कि हमारे काफी पास है और इन सब राशियों पर भ्रमण करते प्रतीत होते हैं।
इनके नाम है 
सूर्य,  चन्द्र, मंगल , बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि
दो छाया ग्रह- राहू और केतु

हम इन्ही के गति के आधार पर भविष्य कथन करेंगे।
मैं आपको ज्योतिष का पूरा ज्ञान दूंगा और आपको इस लायक बना दूंगा कि आप किसी भी व्यक्ति का भाग्य बता सकेंगे आगे की जानकारी अगले लेख में दूंगा और you tube पर आपको विडियो भी देखने को मिलेंगे। तो हमारे साथ जुड़े रहिये। अगर आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो कृपया कमेंट कर अपनी राय अवश्य दें। 
 क्रमशः...............

क्यों हो परेशान जब आप कम सकते हो ऑनलाइन घर बैठे कोई मार्केटिंग नहीं कोई इन्वेस्टमेंट नही

हम बात कर रहे हैं घर बैठे कमाने के बारे में | हो सकता ये आपको आश्चर्य जनक लगे लेकिन इसमें कोई नयी बात नहीं है दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं...

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