पुणे की वैज्ञानिक ने यादव रसोइये के ऊपर केस दर्ज कराया क्योंकि उसके बने खाने से उसका धर्म भृष्ट हुआ।





"पुणे में मौसम विभाग की वैज्ञानिक मेधा विनायक खोले को जब ये पता चला कि उनके यहां खाना बनाने वाली ब्राह्मण नहीं है तो वह सन्न रह गई। वैज्ञानिक ने इसके बाद अपनी 60 वर्षीय नौकरानी के खिलाफ धोखाधड़ी और धार्मिक भावना को आहत करने का केस दर्ज किया है क्यों इससे उसके देवता अपवित्र हो गए …इसे अपना अपमान समझ निर्मला यादव ने पलटकर थाने में मेधा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। "-- दिलीप मंडल की फेस बुक वाल से


जातिवादी मानसिकता से ग्रसित लोग सामाजिक असमानता दूर करने के नाम पर कितना भी दलितों के घर खाना खाने का दिखावा कर लें। शिक्षा और पद भी इनकी मानसिकता नहीं बदल पाते। आरक्षण के मुद्दे पर सवर्ण ज्ञान देते हैं कि अब तो देश में समानता आ गई है, अब आरक्षण की कोई जरुरत नहीं। जमीनी हकीकत इस दिखावे से बहुत अलग है।

आप सोच भी नहीं सकते कि आजादी के इतने साल बाद भी आप किस तरह की मानसिकता वालों के देश में रह रहे हैं। जातिवाद की घटिया मानसिकता से उपजा जाति का दंश क्या होता है, यह पुणे में एक ब्राह्मण वैज्ञानिक के यहां खाना बनाने वाली से बेहतर कौन जान सकता है ?

पुणे में मौसम विभाग की वैज्ञानिक मेधा विनायक खोले को जब ये पता चला कि उनके यहां खाना बनाने वाली ब्राह्मण नहीं है तो वह सन्न रह गई। वैज्ञानिक ने इसके बाद अपनी 60 वर्षीय नौकरानी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला दर्ज करा दिया।

पुणे स्थित भारतीय मौसम विभाग में वैज्ञानिक डॉ. मेधा विनायक खोले ने उनके घर में कार्यरत खाना बनाने वाली 60 वर्षीय निर्मला यादव पर धोखाधड़ी और धार्मिक भावना को आहत करने का केस दर्ज किया है.

मेधा के अनुसार, उन्हें अपने घर में गौरी गणपति और श्राद्ध का भोजन बनने के लिए हर साल ब्राह्मण और सुहागिन महिला की ज़रूरत होती है. मेधा पुणे के मौसम विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर तैनात है.



क्या गंगा-यमुना का पानी लोगों को कायर बनाता है?

योगी आदित्यनाथ ने जब अखिलेश यादव के हटने के बाद मुख्यमंत्री निवास का गोबर और गंगाजल से शुद्धिकरण कराया, तो अखिलेश विरोध में एक शब्द नहीं बोल पाए. यह कहकर रह गए कि – दोबारा सीएम बनने
पर मैं भी शुद्धिकरण कराऊंगा।

वहीं महाराष्ट्र की निर्मला यादव को जब ब्राह्मण साइंटिस्ट मेधा खोले ने जाति के आधार पर अपमानित किया, तो निर्मला पलटकर आईं और थाने पहुंचकर मेधा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी।

न दैन्यम, न पलायनम!!



निर्मला की जवाबी शिकायत के बाद मेधा के हाथपांव फूल गए और घबराकर उन्होंने निर्मला यादव के खिलाफ अपनी FIR वापस ले ली.

सामाजिक समता की लड़ाई विंध्याचल पर्वत के दक्षिण में ही मजबूती से लड़ी जा रही है.

निर्मला यादव का जोखिम समझिए. अब उसे पुणे शहर के किसी संभ्रांत घर में काम नहीं मिलेगा. लेकिन उन्होंने अपमान सहने से इनकार करने का साहस दिखाया. थाने चली गईं. यही इंसान के लक्षण हैं. गुस्सा आना चाहिए.

इस खबर से यह साबित होता है कि आज भी भारतीय सवर्ण समाज मे जातिवाद ,छुआछूत और भेदभाव भयंकर रूप में हावी है तथा चाहे कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो ,उसकी मानसिकता उतनी ही दूषित ,मैली ,कूपमण्डूक और अवैज्ञानिक ही बनी रहती है|दुःख की बात है कि आज भी एक मराठा नौकरानी को छद्म ब्राह्मणी बनकर रसोइये की नौकरी करनी पड़ती है और पकड़े जाने पर मुकदमा झेलना पड़ता है ,शर्म आती है ऐसी जातिवादी सोच की वैज्ञानिक पर और उस व्यवस्था पर जो ऐसे हास्यास्पद मामलों में मुकदमे दर्ज कर लेती है और उनकी जांच भी करती है ,दलितों के खिलाफ निकलने वाले मराठा मोर्चे इस अपमानजनक घटना पर मूक बने रहते है.

जाति छिपाने का आरोप नकारते हुए महिला रसोइए ने भी मौसम विभाग की वैज्ञानिक के ख़िलाफ़ केस किया।


पुणे स्थित भारतीय मौसम विभाग में वैज्ञानिक डॉ. मेधा विनायक खोले ने उनके घर में कार्यरत खाना बनाने वाली 60 वर्षीय निर्मला यादव पर धोखाधड़ी और धार्मिक भावना को आहत करने का केस दर्ज किया है।

मेधा के अनुसार, उन्हें अपने घर में गौरी गणपति और श्राद्ध का भोजन बनने के लिए हर साल ब्राह्मण और सुहागिन महिला की ज़रूरत होती है। मेधा पुणे के मौसम विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर तैनात है।

एनडीटीवी इंडिया की ख़बर के अनुसार, मेधा का आरोप है कि साल 2016 में निर्मला ने ख़ुद को ब्राह्मण और सुहागिन बताकर ये नौकरी ली और उस समय उन्होंने अपना नाम निर्मला कुलकर्णी बताया था जबकि वह दूसरी जाति से हैं। डॉ. मेधा के मुताबिक इस साल 6 सितंबर को उनके गुरुजी ने बताया कि निर्मला ब्राह्मण नहीं हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, मेधा निर्मला की जाति जानने के लिए धयारी स्थित उनके घर तक गई और निर्मला के ब्राह्मण और सुहागिन न होने की बात मालूम पड़ने पर उन्होंने पुलिस में शिकायत करने का फैसला लिया।

एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मेधा ने पुणे के सिंहगढ़ रोड पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. पुलिस ने निर्मला यादव के खिलाफ धारा 419 (पहचान छुपा कर धोखा देने), 352 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 504 (शांति का उल्लंघन करने के इरादे से एक व्यक्ति का अपमान करना) के तहत मामला दर्ज किया है।

दूसरी तरफ निर्मला का कहना है कि उन्होंने कोई चोरी नहीं की है। परिवार चलाने के लिए उन्हें यह झूठ बोलना पड़ा.

मेधा का कहना है कि निर्मला से पूछताछ करने पर निर्मला ने कहा कि आर्थिक समस्या होने के कारण उन्होंने ऐसा किया साथ ही निर्मला ने उन्हें गुस्से में गाली दी और मारने झपटीं. मेधा का कहना है कि उन्हें 15 से 20 हज़ार तक आर्थिक नुकसान भी हुआ है।

पुणे ब्राह्मण महासंघ ने इसे मालकिन और नौकरानी के बीच का विवाद बताते हुए कहा है कि इस मामले को जाति की दृष्टि से नहीं देखकर किसी की व्यक्तिगत भावना आहत होने के नज़रिये से देखना चाहिए. इस बीच राष्ट्रवादी युवती कांग्रेस ने डॉ. मेधा खोले के घर के सामने विरोध प्रदर्शन किया है।

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, निर्मला यादव ने इन सभी आरोपों को ख़ारिज किया है. निर्मला कहती हैं, ‘मैं कभी डॉ. मेधा के पास नौकरी के लिए नहीं गई वो ख़ुद यहां आई थीं और न ही मैंने कभी अपनी जाति छुपाई. मैंने उनके घर तीन उत्सवों पर खाना बनाया पर उन्होंने अभी तक कोई पैसे नहीं दिए. जब मैंने पैसे मांगे तो उन्होंने मुझे आठ हज़ार रुपये कुछ दिन में देने का वादा किया. मैंने उनकी बात पर विश्वास कर लिया क्योंकि वो बड़ी अधिकारी हैं. मैंने कभी नहीं छुपाया की मैं मराठा समुदाय से हूं और एक विधवा हूं।'

‘बीते 6 सितंबर को मेधा मेरे घर आईं और मुझ पर जाति छुपाने का आरोप लगाया. उन्होंने ये तक कहा कि मेरे कारण उनके भगवान अपवित्र हो गए हैं. उनकी शिकायत के बाद मैंने भी उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की है।’

पुलिस के अनुसार डॉ. मेधा के ख़िलाफ़ धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचना), 506(आपराधिक धमकी देना) और 584 (जानबूछ का अपमान करना) के ठत एक ग़ैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया है।

निर्मला यादव के दामाद तुषार काकडे जो कि शिवसंग्राम संगठन के पदाधिकारी हैं साथ ही मराठा आंदोलन में एक सक्रिय सहभागी भी कहते हैं, ‘हम डॉ. खोले की कड़ी निंदा करते हैं जो कि एक वैज्ञानिक होते हुए भी कहती हैं कि उनकी भावना एक दूसरी जाति की विधवा महिला के हाथ से खाना बनवाने के कारण आहत हो गई है।'

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति और सांभाजी ब्रिगेड ने भी प्रेस रिलीज़ निकालते हुए इस घटना की निंदा की और इसे क़ानून का उल्लंघन बताया।

सवाल ये है कि हमारे उत्तर प्रदेश में ऐसी बहुत सी विनायक खोले है, शायद हमें रोज ही दो चार होना पड़ता हो इन लोगों से  , तो हम स्वयं सोचे कि हम किस राह जा रहे हैं??????

एक कविता जो हमेशा हौसला देगी

एक कविता जो हमेशा हौसला देगी / Inspirational Poem


दोस्तों Poems में अद्भुत शक्ति होती है। जो काम एक Book नहीं करती वह काम महज एक कविता कर देती है। यूं तो हिन्दी साहित्य (Hindi Literature) काफी समृद्ध है, उसकी परम्परा, रीति, सौंदर्य, शास्त्र बहुत पुराना है।

 आपके लिए एक ऐसी कविता लाया हूं जो हमेशा हौसला देगी, जो मुर्दे में भी जान डालने वाली ताकत रखती है।

इसकी हर एक पंक्ति, हर एक शब्द और उसके पीछें छुपे भाव को एक बार मन में सोचे तो आप पाएंगे कि कविता को पढने से पहले आप कुछ और थे और बाद में कुछ और।

यह कविता सदी के महानतम कवियों में से एक पद्म भूषण श्री गोपालदास नीरज की कविता है।


नाम - गोपाल दास ‘नीरज‘


जन्मकाल- 4 जनवरी 1925 से अब तक (जीवित)

ग्राम- पुरावली, इटावा, उत्तरप्रदेश।

विशेष- गत 50 वर्षों से काव्य मंचों पर सक्रिय कविता पाठ। नीरज 20th सदी के प्रसिद्ध और सफलतम मंचीय कवियों में से एक माने जाते है।
बाॅलीवुड के कई शानदार नगमें गोपाल दास नीरज की देन है। इनमें कारवां गुजर गया, लिखे जो खत तुझे, ए भाई जरा देख के चलो, यही अपराध हर बार करता हूं, काल का पहिया घूमे रे भईया काफी लोकप्रिय नगमें है। नीरज की 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।

पुरस्कार- गोपालदास नीरज को पद्मश्री, पद्मभूषण, यशभारती समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हो चुके है।


तो आईए आपको ज्यादा इंतजार न करवाते हुए उस कविता का दीदार करवाते है। इस कविता का शीर्षक है -

छिप छिप अश्रु बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों!
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है? नयन सेज पर,
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी,
गीली उमर बनाने वालों! डूबे बिना नहाने वालों!
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी क़मीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
जैसे रात उतार चाँदनी,
पहने सुबह धूप की धोती,
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार कश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है! -

श्री गोपालदास नीरज Shree Gopal Das Neeraj

लग्नेश यदि दशम स्थान में हो तो क्या होगा आपके जीवन का कैरियर और कर्म

ज्योतिषीय ज्ञान
दशम स्थान गत लग्नेश


       कुंडली का सर्वाधिक पवित्र व महत्वपूर्ण स्थान है दशम स्थान | यदि किसी स्थान से दशम स्थान बली हो तो वह स्थान विशेष शाश्वत स्वाभाव का माना जाता है | उदाहरणार्थ दूसरे स्थान का विश्लेषण किया जाये तो दूसरे स्थान से दशम स्थान, अर्थात एकादश स्थान पर ध्यान देना चाहिए | यदि एकादश स्थान में शुभ गृह हों तथा एकादश स्थान बली हो तो दूसरे स्थान को स्वतः बल प्राप्त हो जाता है | इसी प्रक्रार यदि षष्ठ स्थान को जानना चाहें तो षष्ट स्थान से दशम स्थान अर्थात तृतीय स्थान को देखें, यदि तृतीय स्थान बली है तो यह कहा जा सकता है कि षष्ट स्थान स्वतः बली हो गया है तथा जातक रोगमुक्त जीवन प्राप्त करेगा |
       इसलिए लग्न का बलाबल दशम स्थान से देखना होगा | दशम भाव गत लग्नेश अद्वितीय बल प्राप्त करता है यह ऐसे व्यक्ति का सूचक है जो स्वाभाविक भाग्यवान है तथा जो शुभ गुणों से युक्त होगा व जीवन में उन्नति करेगा ऐसा व्यक्ति जो कुशल प्रशासक बनेगा | ऐसे व्यक्ति स्वाभाविक रूप से अपने पूर्वकर्मों के शुभ फलों का उपभोग करने ही इस जीवन में जन्म लेते हैं |
·         दशम स्थान गत लग्नेश भाव-संधि में नहीं होना चाहिए, ऐसा होने पर लग्न का बलक्षय होता है | इस संबंध में किसी भी केंद्र में लग्नेश भाव-संधि में स्थित नहीं होना चाहिए |  भाव-संधि दो प्रकार की होति है |
·         आरोह भाव-संधि
·         अवरोह भाव-संधि
जब गृह नवम स्थान से दशम स्थान में प्रवेश कर रहा हो, तो नवम भाव के उपरांत प्रथम भाव-संधि को आरोह भाव-संधि कहते हैं |
जब कोई गृह भाव-मध्य से अंतिम दस अंशो में जा रहा हो तो इसे अवरोह भाव-संधि कहते हैं |
शुब गृह आरोह भाव-संधि में तथा क्रूर गृह अवरोह भाव-संधि में स्थित होने चाहिए |
जब कोई गृह भावारम्भ बिंदु पर स्थित हो तो वह सर्वाधिक बली गृह बन जाता है | भावारम्भ स्वामी सर्वाधिक बली स्वामी है, वे स्थानविशेष के लिए सर्वप्रथम विश्वस्त उत्तरदायी गृह है | वे उस स्थान के अधिपति से भी अधिक मग्त्वापूर्ण होते हैं |
उदहारण
       यदि सप्तम स्थान मकर राशी का हो तथा भावारम्भ बिंदु पांच अंश व बयालीस मिनट पर हो, जो उत्तरा शाढा नक्षत्र (जिसका स्वामी सूर्य है)  में आता है, तो सप्तम स्थान का प्रथम दायित्व सूर्य पर होगा न कि शनि पर, हालाँकि वह राशीश है |
·         अतः सूर्य पर दुष्प्रभाव देखने होंगे तथा वैवाहिक विलम्ब अथवा विच्छेद के लिए सूर्य ही उत्तरदायी होगा |
यदि स्थानाधिपति तथा भावारम्भ नक्षत्रेश सम- संबंध अथवा संयोग बनायें तो यह अत्यंत शुभ माना जाता है |  यदि महादाशाधिपति अंतर्दाशाधिपति स्थानविशेष के भावारम्भ नक्षत्रेश से युत हो, तो उस स्थान के कार्कतवों का फलित होना सुनिश्चित है |
शुभ गृह होने से दशम स्थान गत लग्नेश आरोह के समय में अतिशुभ माना जाता है | क्रूर गृह होने पर यह अवरोहम में शुभ माना जायेगा तथा भाव-संधि बिंदु में प्रत्येक गृह चाहे वह शुभ हो या क्रूर, शुभ होगा | हालाँकि दशम स्थान में लग्नेश अत्यंत बली माना जाता है, परन्तु वह दिग्बलाहीन नहीं होना चाहिए |
लग्नेश होकर शुक्र दशम स्थान गत होने पर जातक को दीर्घ, परन्तु निस्सार जीवन प्रदान करेगा | ऐसा दीर्घ जीवन किस प्रयोजन का होगा यदि इसके सहायक अवयव ही विद्यमान न हों |
मंगल या सूर्य की लग्नेश होकर दशम स्थान में स्थिति व्यक्ति को शुभ गुण युक्त अलौकिक भाग्यशाली तथा जीवन में सद्गुणों का भोगने वाला बनाती है | दशम स्थान कर्म स्थान होने से इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जातक इस संसार में  उच्चकोटि या महत्व के कर्म करने हेतु जन्मा है, अर्थात कर्मयोगी होगा |
जातक को अत्यंत शुभ पूर्व पुण्य प्राप्त होगा | इस उद्देश्य हेतु पंचम नवम तथा क्रमशः उनके स्वामी व प्रतिस्थायियों में अन्य सहायक तत्व होने चाहिए | व्यक्ति सदैव सफल होगा तथा दूसरों के  प्रति उसका व्यवहार अत्यंत सहायतापूर्ण होगा | व्यक्ति अल्पावस्था में ही जीविकोपार्जन प्रारंभ कर देगा |
जातक कि आर्थिक स्थिति सुद्रढ़ नहीं होगी, परन्तु उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होगा | इस हेतु लग्नेश का आरोग्यकारक चन्द्र से संबंध देखना होगा इससे व्यक्ति के जीवन में संभावित कष्टों कि मात्रा का भी अध्ययन किया जा सकता है |  व्यक्ति स्वनिर्मित व्यक्तित्वा तथा जीवन में स्वनिर्मित व्यक्ति तथा स्वावलंबी होगा |
दशम स्थान गत लग्नेश केन्द्रधिपति दोष से मुक्त होना चाहिए सामान्यतः लग्नेश पर कदापि केन्द्रधिपति दोष नहीं लगता क्योंकि वह एक केंद्र के साथ साथ एक कोण का भी स्वामी होता है | तो ये दोष कब लागू होगा ?
यह केवल तभी संभव है जब लगेंश किसी अन्य केंद्र का भी स्वामी हो, जो केवल ब्रहस्पति तथा बुध अर्थात मिथुनम, कन्या, धनु व मीन लग्न के लग्नेश होने पर लागू हो सकता है |
दशम स्थान गत लग्नेश दर्शाता है कि जातक के जनम के पश्चात् उसके पिता को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा | यह जातक के परिवार में एकमात्र पुत्र होने का भी सूचक है | इसके लिए लग्नेश की सूर्य से युति या द्रष्टि होनी चाहिए या नक्षत्रों का संबंध होने चाहिए |


यदि सूर्य लग्नेश होकर दशम स्थान में स्थित हो, तो जातक अपने पिता कि एकमात्र पुत्र संतति होगी |  यह जातक के अपने पारिवारिक पारम्परिक व्यवसाय में संलग्न होने का भी सूचक है

क्यों हो परेशान जब आप कम सकते हो ऑनलाइन घर बैठे कोई मार्केटिंग नहीं कोई इन्वेस्टमेंट नही

हम बात कर रहे हैं घर बैठे कमाने के बारे में | हो सकता ये आपको आश्चर्य जनक लगे लेकिन इसमें कोई नयी बात नहीं है दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं...

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